प्रसव से पहले के नए मरीज़ों (क्‍लाइंट्स) के लिए जानकारी

(Content revised 05/2015)

गर्भवती महिलाओं को काफी अधिक मनोवैज्ञानिक और भावनात्‍मक बदलावों का सामना करना पड़ता है। मैटर्नल एण्‍ड चाइल्‍ड हैल्‍थ सेन्‍टर्स ने प्रसव से पहले नियमित जांच के अलावा भावी माता-पिता के लिए स्‍वास्थ्य वार्ताओं और कार्यशालाओं की भी श्रृंखला तैयार की है।

प्रसव से पहले जांच

  1. चिकित्‍सीय और प्रसव संबंधी इतिहास
    • पिछला स्‍वास्‍थ्‍य और पिछली गर्भावस्‍थाओं से जुड़ा इतिहास, किसी रोग विशेष का पारिवारिक इतिहास और वर्तमान गर्भावस्‍था की स्‍वास्थ्‍य स्थिति किसी महिला की प्रसव से पहले देखरेख योजना तैयार करने में हमारे स्‍टाफ़ की मदद कर सकती है।
    • पिछली माहवारी की पहली तारीख का उपयोग प्रसव की संभावित तारीख का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।
  2. शरीर का वज़न और रक्‍तचाप मापना
    • ये माता और भ्रूण, दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के सूचक होते हैं।
    • पहने हुए कपड़ों का प्रकार शरीर के वज़न को मापने की स‍टीकता को प्रभावित कर सकता है। गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है कि वे अगली मुलाकातों के दौरान समान वज़न वाले कपड़े पहनें।
    • यदि कपड़े बहुत अधिक गाढ़े हैं अथवा बांह बहुत अधिक तंग है, तो रक्‍तचाप को सही-सही मापना मुश्किल होगा।
  3. पेशाब की जांच
    • प्रत्‍येक नियमित जांच के दौरान, शुगर और प्रोटीन की मौजूदगी के लिए पेशाब के नमूनों की जांच की जाती है।
    • यदि गर्भवती महिला के पेशाब में शुगर पाई जाती है तो इसका क्‍या मतलब है?
      • हार्मोन में आने वाले बदलावों की वजह से गर्भावस्‍था के दौरान पेशाब में शुगर की थोड़ी मात्रा पाया जाना आम बात है। गर्भकालीन मधुमेह का पता लगाने के लिए रक्‍त जांच कराने की आवश्‍यकता होती है।
      • साधारणत: यदि किसी महिला की आयु 35 वर्ष से अधिक है, वह मोटी है, उसका पारिवारिक इतिहास मधुमेह का रहा है, गर्भकालीन मधुमेह का इतिहास रहा है अथवा उसने किसी 4 किलोग्राम से अधिक वज़न के बच्‍चे को जन्‍म दिया है, तो उसे गर्भकालीन मधुमेह होने की संभावना काफ़ी अधिक है।
      • यदि गर्भकालीन मधुमेह से पीडि़त गर्भवती महिला उचित उपचार प्राप्‍त नहीं करती, तो इससे वह स्‍वयं और उसका बच्‍चा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
    • यदि गर्भवती महिला के पेशाब में प्रोटीन पाया जाता है, तो इसका क्‍या मतलब है?
      • पेशाब में प्रोटीन मौजूद होने के कई कारण हैं। गर्भावस्‍था के दौरान इसका सबसे आम कारण मूत्रमार्ग में संक्रमण होना है।
      • ऐसा पूर्व-गर्भाक्षेप (प्री-एक्‍लंप्‍षण) की वजह से हो सकता है, जो आमतौर पर बढ़े हुए रक्‍तचाप से जुड़ा होता है और आमतौर पर गर्भावस्‍था के उत्‍तरार्ध में होता है। इसके तत्‍काल और उचित प्रबंधन नहीं किए जाने की स्थिति में गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
      • एक और आम कारण पेशाब का नमूना लेते समय सही तकनीक न अपनाने की वजह से योनि के स्राव द्वारा पेशाब के नमूने का संदूषित हो जाना है।
  4. मूत्र का नमूना एकत्रित करते समय नोट करने के लिए प्वाइंट:

      1. नाश्ते से पहले अपने मूत्र का नमूना ले लीजिए ( सादा पानी पीने के लिए ठीक है)।
      2. नमूना एकत्रित करने के लिए एक साफ चौड़े मुंह वाली बोतल तैयार करें।
      3. पहली बार निष्कासित मूत्रको फेंक दे क्योकि ये परीक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है।
      4. दूसरा निष्कासित मूत्र की तैयारी करने से पहले तरल साबून और पानी से अपने हाथो को अच्छी तरह से धो लें।
      5. योनी साफ करने के लिए एक गीली रूई पैड या टॉयलेट पेपर का प्रयोग करें और किसी भी योनि स्राव को हटा दें।
      6. शौचालय पर अपने आप को बिठा ले और मूत्र त्याग करना शुरु कर दे।
      7. पहली और अंतिम मूत्र एकत्र नहीं करे।
      8. मूत्र प्रक्रिया के दौरान के बीच में से, चौड़े-मुंह वाली बोतल मे मूत्र का नमूना एकत्रित कर ले।
      9. कंटेनर की ढक्कन को वापस कसकर बंद कर दे और अपने हाथो को अच्छी तरह से धो लें।
      10. इसके बाद आप सामान्य रूप से भोजन कर सकते हैं।
  5. सूजन (ओडीमा)
  6. दाई प्रत्‍येक नियमित जांच के दौरान यह जांच करेगी कि गर्भवती महिलाओं को ओडीमा तो नहीं है। यदि उच्‍च रक्‍तचाप अथवा यूरिया में प्रोटीन, दोनों एक साथ मौजूद हैं, अथवा बहुत ही कम समय में (कुछ दिनों में) ओडीमा की स्थिति बिगड़ रही है, तो पूर्व-गर्भाक्षेप (प्री-एक्‍लंप्‍षण) होने की संभावना होती है। ऐसी स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्‍टर के पास तत्‍काल रैफ़र किया जाना ज़रूरी है।

  7. शारीरिक जांच
  8. डॉक्‍टर यह जांच करेगा कि क्‍या गर्भवती महिला का दिल, फेफड़े और अन्‍य अंग स्‍वस्‍थ हैं। गर्भस्‍थ शिशु की बढ़ोतरी और स्थिति की जांच करने के लिए पेट की जांच की जाएगी। एक उपकरण का प्रयोग करते हुए बच्‍चे के दिल की धड़कन का पता लगाया जाएगा।

दैनिक क्रिया-कलाप

  • गर्भवती महिलाओं को बहुत जल्‍दी थकान महसूस हो सकती है। भूख के मरने से बचने के लिए पर्याप्‍त आराम करना ज़रूरी है, क्‍योंकि भूख से भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है।
  • प्रसवपूर्व कसरत कक्षाओं में जाना उपयोगी होता है। यदि आप ऐसी कक्षाओं में जाने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया स्‍ट्रेचिंग कसरत करती रहें। गर्भावस्‍था के दौरान तैराकी और पैदल चलने जैसे व्‍यायाम भी ठीक होते हैं।
  • व्‍यक्तिगत सफ़ाई महत्‍वपूर्ण है। शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ जाएगा। सूती कपड़े पहनने से पसीने को सोखने में मदद मिल सकती है। हार्मोनों में आने वाले बदलावों की वजह से योनि से अधिक स्राव होने लगेगा और कैंडिडिआसिस होना बहुत ही आम बात है। सैनिटरी पैड का इस्‍तेमाल करने, कॉटन की जांघिया पहनने और टब के पानी से स्‍नान करने की अपेक्षा शॉवर से नहाने से संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। योनि को धोना नहीं चाहिए।
  • गर्भावस्‍था की अंतिम अवस्‍था में निप्‍पल से थोड़ी सी मात्रा में दूध रिसने लगेगा। इसे प्रतिदिन पानी से साफ़ करना याद रखें।
  • यदि योनि से रक्‍तस्राव नहीं होता, तो गर्भावस्‍था के दौरान यौन संबंध बनाए जा सकते हैं।

असामान्‍य स्थितियां

यदि निम्‍नलिखित में से कोई भी स्थिति सामने आती है, तो संबंधित महिला को तत्‍काल डॉक्‍टर से परामर्श करना चाहिए
अथवा अस्‍पताल के दुर्घटना और आपातकालीन विभाग से संपर्क करना चाहिए:

  • एमनियोटिक थैली का फटना
  • योनि से रक्‍तस्राव होना
  • पेट में निरंतर दर्द रहना
  • गंभीर सूजन आना (ओडीमा) जो थोड़े से समय में ही आ गई हो
  • बहुत तेज़ सिरदर्द होना
  • गर्भस्‍थ शिशु की हलचल में काफी अधिक कमी आ गई हो

स्वास्थ्य विभाग
फ़ैमिली हैल्‍थ सर्विस
वेबसाइट: www.fhs.gov.hk
24-घंटे जानकारी हॉटलाइन: 2112 9900