माता-पिता के लिए सूचना: विटामिन डी

(Content revised 07/2016)

विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। विटामिन डी आंत में कैल्सियम अवशोषण में मदद करता है और हड्डियों को मजबूत रखने के लिए रक्त में कैल्सियम और फॉस्फेट के सामान्य स्तर को बनाए रखता है। जब हमारी त्वचा में धूप लगती है तो शरीर में विटामिन डी की अधिकांश मात्रा बनती है। विटामिन डी की एक छोटी मात्रा खाद्य पदार्थों से मिलती है।

विटामिन डी की कमी का प्रभाव

  • नवजात शिशुओं और बच्चों में, विटामिन डी के लगातार कम स्तर से रिकेट्स (सूखा रोग) हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप मुलायम हड्डियां, विकृत हड्डियां, हड्डियों का टूटना, खराब वृद्धि, और रक्त में कैल्सियम का स्तर कम होता है जिससे ऐंठन हो सकती है।
  • अगर गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलता है, तो उनके बच्चों के जन्म के तुरंत बाद रक्त में कैल्सियम स्तर कम हो सकता है या बाद में बचपन में रिकेट्स होने का उच्च जोखिम हो सकता है।
  • वयस्कों में, विटामिन डी की कमी के परिणामस्वरूप ऑस्टियोमालासिया (मुलायम हड्डियां) और ऑस्टियोपोरोसिस (भंगुर हड्डियां) हो सकती हैं जिससे हड्डी के टूटने की आशंका अधिक होती है। विटामिन डी का कम स्तर कैंसर, मधुमेह और संक्रमण से भी जुड़ा हुआ है।

धूप से संपर्क और विटामिन डी

  • त्वचा में धूप लगने से विटामिन डी बनता है। खिड़की के शीशे के पीछे से धूप सेकने से आपको विटामिन डी मिलने में मदद नहीं मिलती है क्योंकि शीशे विटामिन डी बनाने के लिए जरूरी सूरज की रोशनी में पराबैंगनी बी (यूवीबी) किरणों को अवरुद्ध करता है। सन स्क्रीन क्रीम और त्वचा का रंग भी विटामिन डी के निर्माण को अवरुद्ध करते हैं क्योंकि ये यूवीबी किरणों को त्वचा तक पहुंचने से रोकते हैं।
  • धूप में रहने से मिलने वाली विटामिन डी की मात्रा इस पर निर्भर करती है कि त्वचा कितनी देर तक और कितनी धूप में रहती हैं। त्वचा का रंग, मौसम और दिन का समय भी इस पर असर डालता है। अधिक विटामिन डी प्राप्त करने के लिए लंबी अवधि के लिए एक छोटे से क्षेत्र (जैसे चेहरा और बांह) की तुलना में थोड़े समय के लिए अपनी त्वचा के बड़े क्षेत्र (जैसे हाथ, और निचले पैर) को धूप में रखना सर्वोत्तम होता है।
  • अधिकांश लोगों के लिए, गर्मियों के महीनों के दौरान सप्ताह में दो से तीन बार हाथों, चेहरे और बाहों को 5 से 15 मिनट आकस्मिक रूप से धूप में रखना विटामिन डी के स्तर को उच्च रखने के लिए पर्याप्त है। गहरे त्वचा वाले लोगों को लंबे वक्त तक धूप में रहने की आवश्यकता होती है।
  • सर्दियों में धूप कम तीव्र होती है। सर्दियों में विटामिन डी के समान स्तर के लिए लंबे समय तक धूप में रहने की आवश्यकता हो सकती है।

विटामिन डी के खाद्य स्रोत

  • कुछ खाद्य पदार्थों में कुदरती रूप से विटामिन डी होता है, उदाहरणों में फैटी फिश (जैसे सैल्मन, सरडिन्स, टूना), अंडे की जर्दी और यकृत शामिल हैं।
  • गाय के दूध और दूध से बने उत्पाद, सोयामिल्क, फलों का रस, नाश्ते के अनाज जैसे कुछ खाद्य पदार्थों में विटामिन डी होता है। यह जानने के लिए खाद्य लेबल को देखें कि उत्पाद में विटामिन डी की मात्रा पर्याप्त है या नहीं।
  • इन खाद्य पदार्थों का उपभोग करने से आपको विटामिन डी मिलता है; हालांकि, सिर्फ भोजन से पर्याप्त विटामिन डी प्राप्त करना मुश्किल है।

आकस्मिक धूप से विटामिन डी प्राप्त करना

  • घर से बाहर नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करें। खुले में गतिविधियों या व्यायाम के दौरान प्रतिदिन थोड़ी देर के लिए बांह, हाथों और चेहरे को धूप में रखे जिससे शरीर को विटामिन डी बनाने में मदद मिले।
  • माता-पिता को रोज़ाना शिशुओं और बच्चों को कुछ समय के लिए बाहर ले जाना चाहिए, उनके सिर, बाहों और पैरों को धूप में रखना चाहिए।

विटामिन डी और नवजात शिशु

  • शिशुओं को जन्म से पहले मां से विटामिन डी का एक छोटा सा रिजर्व प्राप्त होता है। जन्म के बाद, बच्चों को धूप, स्तनपान (या फार्मूला दूध अगर वे स्तनपान नहीं करते हैं) और खाद्य पदार्थों से विटामिन डी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है।
  • स्तनपान बच्चों को सबसे अच्छा पोषण प्रदान करता है। हालांकि, बच्चों को तब स्तनपान से ज्यादा विटामिन डी नहीं मिलता है जब उनकी मां में विटामिन डी का स्तर कम होता है। ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कुछ देशों में, स्तनपान करने वाले बच्चों को विटामिन डी का सप्लीमेंट देने की सिफारिश की जाती है।
  • फ़ॉर्मूला-फेड शिशुओं को आमतौर पर सप्लीमेंट की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि विटामिन डी पहले ही शिशु फार्मूला में जोड़ा दिया जाता है।

किन लोगों को पर्याप्त विटामिन डी नहीं मिलने का खतरा होता है

  • समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे;
  • वैसे बच्चे जो उन माताओं से जन्म लेते हैं, जिनमें विटामिन डी का स्तर कम होता है या जिन्हें धूप में नहीं रखा जाता है, खासकर जब उन्हें विशेष रूप से स्तनपान कराया जाता है;
  • विशेष रूप से स्तनपान करने वाले शिशु जिनको कम धूप लगती है;
  • काली त्वचा वाले बच्चे और लोग;
  • जो लोग अपना अधिकांश समय घर के भीतर बिताते हैं;
  • जो लोग अपनी त्वचा को कपड़े से ढककर रखते हैं;
  • गुर्दे की बीमारियां, किडनी की बीमारियां और अन्य पुरानी बीमारियों वाले लोग।

यदि आप चिंतित हैं, तो कृपया विटामिन डी सप्लीमेंट की आवश्यकता का आकलन करने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।