नियमित नींद की रूटीन विकसित करना

(वीडियो अपलोडेड 01/22)

प्रतिलिपि

शीर्षक: नियमित नींद की रूटीन विकसित करना

दृश्य: पिता बच्चे के साथ खेलता है।

मां: बेबी, अब सोने का वक़्त हो गया है।

पिता: ओह, अभी वह थकी हुई है। उसे मेरी गोद में सोने दो।

मां: यह अच्छी बात नही है। यदि आप उसे पकड़े रहेंगे, तो वह नहीं सोएगी। दरअसल, मैं उसे नियमित सोने का रूटीन बनाने में पहले ही मद कर चुकी हूं।

पिता: नियमित सोने का रूटीन?

माता: हाँ

वाचक: जब आपका बच्चा 2 से 3 महीने का हो जाए, तो आप उसे नियमित सोने का रूटीन विकसित करने में मदद कर सकते हैं। इसका संबंध बच्चे के सोने से जुड़ी रोजमर्रा की ख़ास गतिविधियों से है। इस तरह, बच्चे उन तमाम गतिविधियों के बाद अपने आप से सोना सीखते हैं। । बच्चों की अनेक विशेषताएँ होती है। सोने की रुटीन बनाने में आपअपने बच्चे की विशेषताओं और उसकी आदतों के मुताबिक सोने की रूटीन बनाने मदद कर सकते हैं। यहाँ दो उदाहरण दिए गए हैं।

उपशीर्षक: अपने बच्चे को खिलाएं। अपने बच्चे से डकार करवाएं। कोई धुन गुनगुनाएं। जब आपका बच्चा सोने लगे, तो उसे बिस्तर में डाल दें। लाइट बुझा दें।

वाचक: अपने बच्चे को खिलाएं। उससे डकार कराएं और उसे कोई धुन गुनगुनाएं।जब आपका बच्चा सोने लगे, तो उसे बेड में डाल दें।रोशनी बुझा दें।

वाचक: यहाँ एक और उदाहरण है।

उपशीर्षक: अपने बच्चे को नहाएं।अपने बच्चे को खिलाएं।अपने बच्चे को डकार दिलाएं।अपने बच्चे से बात करें।अपने बच्चे को बिस्तर में रखें।हल्का संगीत बजाएं।रोशनी कम रखें।

वाचक: अपने बच्चे को नहाएं।अपने बच्चे को खिलाएं।अपने बच्चे से डकार कराएं।अपने बच्चे से थोड़ी बात करें।जब आपके बच्चे को नींद लगने लगे तो उसे अपने बिस्तर में डाल दें।हल्का संगीत बजाएं रोशनी को धीमा कर दें।उसे अपने आप से सोने दें।आपके बच्चे में नियमित सोने का रूटीन बन जाने से बच्चे का देखभाल करना आपके लिए आसान हो जाता है।