एटिपिकल स्क्वामस सेल्स ऑफ़ अनडिटरमाइंड सिग्निफिकेंस

(सामग्री संशोधित 04/2023)

जब सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट ASCUS की मौजूदगी दिखाता है, तो इसका मतलब है कि कोशिकाएं माइक्रोस्कोप में सामान्य कोशिकाओं से कुछ अलग हैं, लेकिन उनकी गिरावट का स्तर इतनी गंभीर नहीं है कि उन्हें प्री-कैंसर वाली कोशिकाएँ कहा जा सके। स्क्रीनिंग टेस्ट देने वाली हर 100 महिलाओं में से, लगभग 3 से 5 में उपरोक्त अभिव्यक्ति होगी और जिनमें से 50% की कोशिकाएं 4 से 6 महीने के बाद सामान्य हो जाती हैं।

स्क्रीनिंग टेस्ट सर्वाइकल टिश्युज़ की गिरावट के स्तर को पूरी तरह से प्रतिबिंबित नहीं कर सकता है। वाकई में, असामान्य सर्वाइकल कोशिकाओं वाली 100 महिलाओं में से, लगभग 5 में सर्वाइकल टिश्युज़ गंभीर रूप से बिगड़े हुए होते हैं। इसलिए, महिलाओं को हर 6 महीने में रिपीट टेस्ट्स तब तक करवाने चाहिए जब तक कि लगातार दो सामान्य परिणाम प्राप्त न हो जाएँ। अगर असामान्य कोशिकाएं बनी रहती हैं या स्थिति खराब हो जाती है, तो कॉल्पोस्कोपी के लिए स्पेशलिस्ट क्लिनिक में रेफ़रल की ज़रुरत पड़ेगी। चूंकि सर्वाइकल कोशिकाओं की गंभीर गिरावट से लेकर कैंसर तक बढ़ने में आम तौर पर लगभग 5 से 10 साल लगते हैं, स्थिति शायद ही कभी कोई तत्काल खतरा पैदा करती है, कृपया बहुत ज़्यादा चिंता न करें।

सर्वाइकल कैंसर का होना एक लंबा प्रोसेस है। सर्विक्स की कोशिकाएँ धीरे-धीरे सामान्य कोशिकाओं से असामान्य कोशिकाओं में, हल्के, मध्यम, फ़िर गंभीर गिरावट और अंत में सर्वाइकल कैंसर जैसे बदलावों की एक श्रृंखला से गुज़रती हैं। कोशिका बदलावों के लगातार बिगड़ने के अलावा, किसी भी समय, कोशिका बदलाव अनायास ही सामान्य स्थिति में भी आ सकता है। हालाँकि, भले ही कोशिका बदलाव पहले से ही गंभीर गिरावट दिखाते हों, फ़िर भी वाकई कैंसर होने में 5 से 10 साल तक का समय लग सकता है।

हम समझते हैं कि आप जितनी जल्दी हो सके, रिपीट टेस्ट कराना चाहेंगे। चूंकि सर्वाइकल कोशिकाओं की बाहरी परत पिछले स्मीयर के दौरान छिल गई है और कोशिकाओं को दोबारा बढ़ने में समय लगता है (कम से कम 4 से 6 हफ़्ते), जल्द दोबारा जाँच सर्वाइकल कोशिकाओं की स्थिति को सटीक रूप से प्रतिबिंबित नहीं कर सकती है। कृपया निर्धारित समय पर एक रिपीट टेस्ट के लिए उपस्थित हों।

कॉल्पोस्कोपी क्या है?

कॉल्पोस्कोपी एक मैग्निफ़ाइंग ग्लास का इस्तेमाल करके योनि और सर्विक्स की जांच करने को कहते हैं। ये जाँच प्रक्रिया बिना एनेस्थीसिया के क्लीनिक में की जा सकती है और इसमें लगभग 10 मिनट लगते हैं।

प्रक्रियाएँ

डॉक्टर कॉल्पोस्कोप को डालेंगे, योनि और सर्विक्स को स्पेशल औषधीय सॉलूशन से निशान लगाएँगे और फ़िर किसी भी असामान्य घाव की पहचान करने के लिए कॉल्पोस्कोप का इस्तेमाल करेंगे। अगर कोई असामान्य घाव पाया जाता है, तो डॉक्टर एक उपकरण का इस्तेमाल करके टिश्यु का एक छोटा टुकड़ा निकालेंगे और आगे की एनालिसिस के लिए उसे लैबोरेटरी में भेजेंगे।