अनिर्धारित महत्व के असामान्य स्क्वैमस सेल (ASCUS) उच्च जोखिम HPV टेस्ट किया गया
जब सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट में ASCUS की मौजूदगी दिखाई देती है, तो इसका मतलब होता है कि सेल्स माइक्रोस्कोप के नीचे नॉर्मल सेल्स से कुछ अलग हैं, लेकिन उनकी गिरावट की डिग्री इतनी गंभीर नहीं है कि उन्हें प्री-कैंसर सेल्स कहा जा सके। सर्वाइकल स्क्रीनिंग टेस्ट में ASCUS सबसे आम असामान्य खोज है: स्क्रीनिंग टेस्ट लेने वाली प्रत्येक 100 महिलाओं में से लगभग 3 से 5 में उपरोक्त लक्षण पाए जाएंगे और उनमें से 50% की सेल्स 4 से 6 महीने के बाद सामान्य हो जाएंगी। HPV ट्राइएज एक अतिरिक्त टेस्ट है जो ये आंकलन करने के लिए किया जाता है कि सर्वाइकल सेल्स उच्च जोखिम वाले ह्यूमन पैपिल्लोमावायरस (HPV) से संक्रमित हुई हैं या नहीं। इससे समय के साथ सेल्स के प्री-कैंसर वाली या कैंसरग्रस्त सेल्स में बदल जाने के जोखिम का भी आंकलन होता है, क्योंकि सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामले उच्च जोखिम वाले HPV के लगातार संक्रमण के कारण होते हैं।
- यदि सर्वाइकल सेल्स उच्च जोखिम वाले HPV से संक्रमित नहीं हुई हैं, तो गंभीर कोशिका क्षति की संभावना बहुत कम है। इसलिए, महिलाओं को केवल 3 साल बाद ही सर्वाइकल स्मीयर दोबारा कराने की ज़रुरत पड़ेगी। यदि दोबारा किए गए स्मीयर का परिणाम नॉर्मल है, तो वो दूसरी महिलाओं की तरह नियमित जांच जारी रख सकती है। यदि दोबारा टेस्ट के परिणाम में लगातार असामान्य सेल्स, या और ज़्यादा खराब सेल्स दिखाई देती हैं, तो उसे कोल्पोस्कॉपी के लिए स्पेशलिस्ट क्लिनिक में भेजा जाएगा।
- यदि असामान्य सर्वाइकल सेल्स उच्च जोखिम वाले HPV से संक्रमित हो गई हैं, तो संभावना है कि ये सेल्स गंभीर तरीके से खराब हो सकती हैं या कैंसर का रूप ले सकती हैं। इसलिए, महिलाओं को कोल्पोस्कॉपी के लिए स्पेशलिस्ट क्लिनिक में भेजा जाएगा। चूंकि सर्वाइकल सेल्स की गंभीर गिरावट से लेकर कैंसर तक बढ़ने में आम तौर पर 5 से 10 साल लगते हैं, इसलिए ये स्थिति शायद ही कभी कोई तत्काल खतरा पैदा करती है, इसलिए कृपया बहुत ज़्यादा चिंता न करें।
कोल्पोस्कॉपी क्या है?
कोल्पोस्कॉपी का मतलब मैग्नीफ़ाइंग ग्लास का इस्तेमाल करके योनि और सर्विक्स की जांच करना है। ये जांच की प्रक्रिया क्लीनिकों में बिना एनेस्थीसिया के की जा सकती है और इसमें लगभग 10 मिनट का समय लगेगा।
प्रक्रियाएं
डॉक्टर कोल्पोस्कॉप डालेंगे, योनि और सर्विक्स को स्पेशल औषधीय सॉल्यूशन से रंगेंगे और फ़िर किसी भी असामान्य घाव की पहचान करने के लिए मैग्नीफ़ाइंग ग्लास का इस्तेमाल करेंगे। यदि कोई असामान्य घाव पाया जाता है, तो डॉक्टर एक उपकरण का इस्तेमाल करके टिश्यु का एक छोटा-सा टुकड़ा निकालेंगे और उसे आगे की एनालिसिस के लिए लैब में भेज देंगे।